अवधी गीत : वा है जिंदगी.
ई अवधी गीत सुशील सिद्धार्थ भैया रचिन हयँ। ओनसे अनुरोध किहे रहेन कि वय आपन रचा कुछ भेजयँ। तौ ई अवधी गीत भेजिन। ई गीत जिंदगी का हय, कवन जिंदगी सारथक जिंदगी कही जाय, यहिपै अहय। ई गीत यक तरह से जागरन गीत के नायिँव देखा जाय सकत हय। ्सुशील सिद्धार्थ परिचय कै मोहताज नाय हयँ। हिन्दी व्यंग बिधा मा ओनकै लेखनी यहिरी धमाल मचाये अहय। अब ई गीत गुनगुनावा जाय, लेकिन जागरन गीत वाली उरजा के साथे, तनिका लंफाय के। : संपादक
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अवधी गीत : वा है जिंदगी
चाहे सब नखत बुतायं,सोम ब्योम मा समायं
मुलु न तुम कह्यो कि राति है
जी की लगन ना बुताय जौनु दे गगन लचाय
वहिकी भोर जगमगाति है
रोसनी लिखै तौ वा है जिंदगी
दे जियबु सिखै तौ वा है जिंदगी
बिनु थके चलै तौ वा है जिंदगी
झूठु का खलै तौ वा है जिंदगी।।
चलि परै तौ राह मा पहाड़ बन कि बाघु होय
मुलु कहूं तनिकु रुकै न बीच मा
पाखु जौ अंधेरु होय आंखि मा उजेरु होय
काफिला फंसै न काल कीच मा
आंधी सिरु झुकाइ देइ राह खुद बनाइ देइ
सागरनु कि का बिसाति है
जी की लगन ना बुताय जौनु दे गगन लचाय
वहिकी भोर जगमगाति है
घामु मा तचै तौ वा है जिंदगी
मुलु घटा रचै तौ वा है जिंदगी
सांचु पर डटै तौ वा है जिंदगी
इंचु ना हटै तौ वा है जिंदगी।।
प्रीति कै गुलाल बनि प्रतीति पै निहाल होय
धार लौटि देति सब गुमान की
ग्यान कै मिसाल होय त्याग कै मसाल होय
जइसे राधारानी जइसे जानकी
आखरन म वा समाय जोति बीच झिलमिलाय
कालु उइते हारि जाति है
जी की लगन ना बुताय जौनु दे गगन लचाय
वहिकी भोर जगमगाति है
फूलु जस झरै तौ वा है जिंदगी
दुखु सकल हरै तौ वा है जिंदगी
यादि मा बसै तौ वा है जिंदगी
पीर मा हंसै तौ वा है जिंदगी॥
भूमि जल गगन पवन अगिनि क कर्जु दे उतारि
जो मिला हियां हियैं लुटाय दे
जिंदगिक जियाय जाय जगु समूच पाय जाय
अइस अपने आपु का गंवाइ दे
राह छांह छूटि जाय ई तना जो जसु कमाय
दुनिया देखि कै सिहाति है
जी की लगन ना बुताय जौनु दे गगन लचाय
वहिकी भोर जगमगाति है
धार मा धंसै तौ वा है जिंदगी
पांवु ना फंसै तौ वा है जिंदगी
आंबु जस फरै तौ वा है जिंदगी
प्रीति रसु भरै तौ वा है जिंदगी।।
__सुशील सिद्धार्थ
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