बजरंग तिवारी ‘बजरू’ केरि अवधी गजल

हंस पत्रिका के जुलाई वाले अंक मा बजरंग बिहारी ‘बजरू’ केर ई अवधी गजल पढ़तै-खन जिउ निहाल होइगा। ‘हंस’ हिन्दी कय जानी-मानी पत्रिका आय, वहिमन लोकभासा के ताईं अस पहल भै, ई बहुत खुसी कै बाति है।  यहि गजल क हियाँ, पाठक लोगन ख़ातिर, हाजिर करत हम ‘हंस’ औ बजरंग भैया केर बहुत आभारी हन्‌। आगेउ अस परयास जारी रहय। निहायत गाँव कै सबदन से आधुनिक चेतना क समाउब, समझौ गाँव-गुलौरी मा नयी आगि-आँच डारब! चुनौती बड़ी मुल निभायी गय है करीने से। 
साभार; हंस-जुलाई’१५

साभार; हंस-जुलाई’१५

2 thoughts on “बजरंग तिवारी ‘बजरू’ केरि अवधी गजल

  • August 3, 2015 at 6:27 pm
    Permalink

    BAHUT ACHHI KAVITA HAI PADHKAR RAMAI KAKA AUR VANSHIDHAR SHUKL KI YAD AA GAYI

    Reply
  • August 4, 2015 at 3:09 pm
    Permalink

    मन के निकहा खूसी भइल जे ’हंस’ के आधुनिक स्वरूप तक ले हिन्दी पत्र-पत्रिका के जनमकाल से चलल आवत परम्परा के निभावत आ रहल बा. ’सरस्वती’ (सं-महावीर प्रसाद द्विवेदी) के अंक में आंचलिक भासा के प्रकासन होत रहे. मन परऽता १९१४ के सितम्बर अंक में प्रकाशित दानापुर निवासी ’हीरा डोम’ के भोजपुरी कविता ’अछूत के शिकायत’ के प्रकाशन उदाहरण स्वरूप लिहल जा सकेला. एकर निबाह आगे साहित्यिक पत्रिका, लघु पत्रिका आदि करत रहल बा. ’धर्मयुग’ आ ’सारिका’ तक एह परम्परा के निभवलस, जेमे अवधी, भोजपुरी, बुन्देली आदि भासा के कविता भा ओह भासा से सम्मत कविता/रचना के अस्थान मीलल बा. चलत साल २०१५ के मई मास में दैनिक जागरण के साहित्यिक परिशिष्ट में आंचलिक भासा ’अंगिका’ के एगो गीत के प्रकाशन महत्त्वपूर्ण कदम बा.
    भाई बजरंग तिवारी ’बजरू’ के आ हंस के टीम के अवधी गजल खातिर हार्दिक बधाई.

    Reply

Leave a Reply

Your email address will not be published.