अवधी गजल : अम्मा (अशोक ‘अग्यानी’)
ई बहुत खुसी केरि बाति है कि अवधी भासा मा बिधिवत गजलन क्यार संग्रह द्याखै क मिलत अहै। यहि खुसी कै योजना बनावै वाले कवि सिरी अशोक ‘अग्यानी’ जी बधाई कै पात्र हैं। अग्यानी जी अवधी-साधक की हैसियत से सक्रिय अहैं। रामपुर-खेड़ा, मजरे-इचौली( पो-कुर्री सुदौली/रायबरेली-अवध) गाँव कै रहै वाले अग्यानी जी खुनखुनिया, माहे-परासू, धिरवा, जैसी लोकगाधन क हमरे बीच लाइन हैं। इनकै बप्पा अहीं – सिरी नन्हकऊ यादव। अम्मा हुवैं – सिरीमती शान्ती देवी। ‘वीर पवाड़े अवध भूमि के’ नाव से आकासबानी के ताईं धारावाहिक कै तेरह एपीसोडौ लिखिन हैं। यहि साइत राजकीय हुसैनाबाद इण्टर कालेज, चौक, लखनऊ मा प्रवक्ता पद पै सक्रिय अहैं। ई गजल अग्यानी जी के गजल-संग्रह ‘चिरइया कहाँ रहैं’ से लीन गै है:
अवधी गजल : अम्मा
आपनि भासा आपनि बानी अम्मा हैं।
भूली बिसरी कथा कहानी अम्मा हैं।
धरी हुवैं दालान मा जइसे बेमतलब,
गठरी फटही अउर पुरानी अम्मा हैं।
नीक लगै तौ धरौ, नहीं तौ फेंकि दियौ,
घर का बासी खाना – पानी अम्मा हैं।
मुफति मा माखन खाँय घरैया सबै, मुला
दिन भर नाचैं एकु मथानी अम्मा हैं।
पूरे घरु क भारु उठाये खोपड़ी पर,
जस ट्राली मा परी कमानी अम्मा हैं।
जाड़ु, घामु, बरखा ते रच्छा कीन्ह करैं,
बरहौं महिना छप्पर-छानी अम्मा हैं।
लरिका चाहे जेतना झगड़ा रोजु करैं,
लरिकन ते न कबौ-रिसानी अम्मा हैं।
ना मानौ तौ पिछुवारे की गड़ही हैं,
मानौ तौ गंगा महरानी अम्मा हैं।
‘अग्यानी’ न कबौ जवानी जानि परी,
बप्पा ते पहिलेहे बुढ़ानी अम्मा हैं।
__ कवि अशोक ‘अग्यानी’
वाह वाह ! अज्ञानी जी बहुतै चौचक माल परोसे अहे अमरेन्द्र भाई ! पढ्वावे बारे बहुत बहुत साधुवाद !
वाह वाह…अम्मा केर सुधि राखै वाले देखि परे लागि हैं… अब न budhaihain अम्मा येत्ती जल्दी…
अग्यानी हमार प्रिय कबि आहीं। ..उनका बधाई।
भैया अमरेन्द्र राम राम, हम सुधाकर आपसे मिलेन रहै लखनऊ
मा अवधी के कार्यक्रम मा यादि है?? भाय बड़ा नीक करयो जौन या पढे का मिलि गा..
भैया अगर यहौ मुसहरवा कि तना अज्ञानी जी के आवाज मा सुने का मिल जाये तो मजा आ जाय..
भैया कोसिस करो यहि का वीडियो डारो तो धन्यवाद देई…
नीक लगै तौ धरौ, नहीं तौ फेंकि दियौ,
घर का बासी खाना – पानी अम्मा हैं।
पूरे घरु क भारु उठाये खोपड़ी पर,
जस ट्राली मा परी कमानी अम्मा हैं।
ना मानौ तौ पिछुवारे की गड़ही हैं,
मानौ तौ गंगा महरानी अम्मा हैं।
बहुतेई नीक लगी भैया ग़ज़ल …..का कही जाये ….दिल भरि गवा !