त्रिलोचन जी कै अवधी सानेट (१९५४ ई.)
खड़ी बोली हिन्दी मा ढेर कुल्ले कबिताई करै वाले वासुदेव सिंह ‘त्रिलोचन शास्त्री’ कै गिनती समकालीन अवधी कवियन मा बड़े गरब से कीन जात है। त्रिलोचन जी कै जनम २० अगस्त १९१७ मा जिला सुल्तानपुर/अवध के चिरानी पट्टी/कटघरा गाँव मा भा रहा। तमाम दिक्कतन कै सामना करत १९३६ मा कउनउ जतन संसकिरित मा ‘शास्त्री’ डिगरी लिहिन। त्रिलोचन कै साहित्तिक सफर पत्रकारिता से सुरू भवा अउर आगे हिन्दी साहित्त के खास तीन ‘प्रगतिशील’ कवियन मा यक यनहूँ माना गये। यहीते इनकी अवधी कवितायिउ मा तरक्की पसंदगी लाजमी तौर पै देखात है। छुटपुट अवधी कविता लिखै के साथेन त्रिलोचन अवधी मा यक तगड़ी रचना ‘अमोला’ लिखिन जेहिमा उनकै २७०० बरवै यकट्ठा हैं। अवधी माटी कै हीरा त्रिलोचन ९ दिसंबर २००७ क दिवंगत भये।
हाजिर है त्रिलोचन जी कै लिखी यक सानेट जौन कवि तुलसीदास पै लिखी गै है:
कविता : कहेन किहेन जेस तुलसी तेस केसे अब होये
“कहेन किहेन जेस तुलसी तेस केसे अब होये।
कविता केतना जने किहेन हैं आगेउ करिहैं;
अपनी अपनी बिधि से ई भवसागर तरिहैं,
हमहूँ तौ अब तक एनहीं ओनहीं कै ढोये;
नाइ सोक सरका तब फरके होइ के रोये।
जे अपनइ बूड़त आ ओसे भला उबरिहैं
कैसे बूड़इवाले। सँग – सँग जरिहैं मरिहैं
जे, ओनहीं जौं हाथ लगावइँ तउ सब होये।
तुलसी अपुनाँ उबरेन औ आन कँ उबारेन।
जने – जने कइ नारी अपने हाथेन टोयेन;
सबकइ एक दवाई राम नाम मँ राखेन;
काम क्रोध पन कइ तमाम खटराग नेवारेन;
जवन जहाँ कालिमा रही ओकाँ खुब धोयेन।
कुलि आगे उतिरान जहाँ तेतना ओइ भाखेन।”
(~त्रिलोचन शास्त्री)
सत्यनारायण कुटीर,
साहित्य सम्मेलन, प्रयाग।
९/२/१९५४
~सादर/अमरेन्द्र अवधिया
तुलसी पर ई कविता ज़ोरदार हवे
तुलसी अपुनाँ उबरेन औ आन कँ उबारेन
सबकइ एक दवाई राम नाम मँ राखेन…आभार.
बेहतरीन प्रयास पर भाई जरा अवध वाली नरमी जरूर आवई तनिक पुरबई की ज्यादा असर है
बड़ा नीक लाग पढ़ी कै भाई !!
‘काम क्रोध पन कइ तमाम खटराग नेवारेन;
जवन जहाँ कालिमा रही ओकाँ खुब धोयेन।’
बहुत बढ़िया .. मन को बहाने वाले भाव त्रिलोचन शाश्त्री जी के..
बहुत नाम रहा एनकर ,बहुते नीक कविता.
तिरलोचन बाबा ते मुलाकात करा दिहिन्यो,यह नीक रहा….पुराने मनई अउ उनकेरि कबिताई अलगे रहै !
अभार तोहार !
बाबा क परनाम !
तिरलोचन बाबा क परिचै उनके कबिता कै साथ नीक रहा !
अच्छा,अवधी में भी लिखा था त्रिलोचन शास्त्रीजी ने।