कौवा-बगुला संबाद : आगामी भागन कै भूमिका

छबी-स्रोत : गूगल बाबा
राम राम भईया !
कभौ गद्य औ कभौ पद्य, साहित्य मा दुइनौ कै उपस्थिति हुवत है| वैसे तो संसकीरत मा पूरे साहित्य का काब्य कहा गा है | मुला आज के समय मा काब्य अउर गद्य मा विधागत अंतर साफ़ देखात है| मोर इरादा तौ इहै है कि दुइनौ विधन से आपन बात रखी| गद्य मा आपन बात रखै खातिर “कौवा-बगुला संबाद” कै माध्यम चुनेन है|
कौवा अउर बगुला जाने केतरा समय से इंसानी कहानिन मा आवत अहैं| विद्यार्थी के लिए जरूरी पाँचों लच्छन मंहसे दुई ठौरे यनही दुइनौ जीवन से खींचा गा अहै–” काक-चेष्टा वकों-ध्यानं” | कौवा केरी चेस्टा अउर बगुला केरा ध्यान | मोर जोजना तौ इहै है कि इन दुइनौ कै चेस्टा अउर ध्यान कै सहारा लइके व्यंगात्मक लहजे मा समय-समाज पै आपन बात रखी |
प्रस्तुति कइव अंकन मा रहे | हर अंक कै सीर्सक अंकन के साथ रहे | पहिल अंक के तौर पै दुइनौ कै जान-पहचान अउर मुलाकात होये | दुइनौ हंसी-खुसी मिलिहैं अउर आगे कै मुलाकात तय कैके बिछुरि जइहैं | यहितरह संतों ! आगामी भाग मा आप लोग देखिहैं दुइनौ कै मुलाकात ——
ई तौ है हमार जोजना, अब आप लोगन कै राय कै इंतज़ार है ……
अब अगिले अत्त्वार तक ..
राम राम …!!!
राम राम …!!!
भैया हम त बस एकै पक्षी संवाद जानिथ और ऊ है काकभुशुण्डी गरुण संवाद मुला कुआ और बगुला का ब्लागिरी संवाद भी देखि लिहा जाए !
भैज्जा , आजकल्ल जेई वारे सम्बाद चलत हैं
पोष्ट नौनी लगी.इत्तो अच्छो मत लिखौ भैज्जा कै
दूसरे ब्लागरन की पोस्ट पे टिपियाबे खौं टैम न मिलै
{बुन्देली में टिप्पणी है }
योजना अच्छी है। आरम्भ करें।
hmmm, interesting. would be returning for more.
bahut achcha laga padh kar……
बहुतै प्यारी भाषा माँ आप लिखे हैं बहुतै अच्छा…..
बहुत अच्छा परयास करत हौ भइया। जारी रखै कै भरसक प्रयत्न करेव।
द्याखब शुरु कीन है अबहीं- पढैं के बदे।
लईका रही तो सभे कहत रहलन….काक चेष्टा बको ध्यानम..सफल होवे के मूल मन्त्र होवी…..
नीक लागल ईहो संवाद..
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