टिकुई कढ़ाई

पढ़ैयन से कुछ सुरुआती बातन के तौर पै ‘टिकुई कढ़ावत’ अही.
सभ्यता कै विकास कै करम मा कइउ पायदान पै इन्सान चलत आवा, चढ़त आवा. आजु हमसब जौने पायदान पै अहन वहिपै टेक्नालजी हमसफ़र बनी अहै. तौ फिर जरूरी अहै कि यहिके साथे हमसफरै केस बिउहार कीन जाय. यही दिसा मा बलाग के जरिये “अवधी कै अरघान” आप सबन के सामने प्रस्तुत अहै….यक छोटि लेकिन हिये कै पहल…
अरघान कै मतलब खुसबू से अहै. कोसिस अवधी के खुसबू से तरबतर हुवै कै अउर करावै कै अहै. हाँ, अरघान का संसकीरत कै ‘आघ्राण’ सबद कै समौरी समझौ. यहिके तहत जवन भाव-विचार मन मा उठे, वहिका लिखब. अवधी कविकुलगुरु गोसाईं तुलसीदास कै सबदन मा कहा चाहित अही- ”भाखाबद्ध करबि मैं सोई/ मोरें मन प्रबोध जेहिं होई//”
ई दावा करै कै साहस नाय कै सकित कि हम मौलिक जेस चीजि लिखि डारब. हर चीजि परंपरा मा फूलत फलत बाय. विकास कै बिंदु बनै कै कोसिस जरूर करब.. सबकै सनेह अउर सुभकामना चाहत अही ताकि दिया से प्रेरना लै के उजियार करै लायक बन सकी अउर हमसे कुछ बन परै.
परयास तौ इहै रहे कि कम से कम हफ्ता मा यक बार बलाग पै कुछ न कुछ हाजिर कै सकी.
आजु इतनै, अब अगिले अइतवार का…..
भइयादूजि कै सुभकामना,
धन्यवाद ____ अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
आदरणीय अमरेन्द्र जी ,ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत करता हूँ..आपके प्रयासों से अवधी की मिठास हमें भी मिले बस यही कामना है..
आप सौभाग्यशाली मित्रों का स्वागत करते हुए मैं बहुत ही गौरवान्वित हूँ कि आपने ब्लॉग जगत मेंपदार्पण किया है. आप ब्लॉग जगत को अपने सार्थक लेखन कार्य से आलोकित करेंगे. इसी आशा के साथ आपको बधाई.
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं,
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tirpayhi ji ,tikui ta kadhaya mul purvahiu ka paree.
स्वागत और शुभकामनाएं
भैया , बड़ा नीक लाग की आज काल के जुग मां कोऊ अपनी बोली भाषा के बारे मां भी सोचत है |
लिखत रहव …
स्वागत है |
bahut achcha laga …
आपका लेख पड्कर अछ्छा लगा, हिन्दी ब्लागिंग में आपका हार्दिक स्वागत है, मेरे ब्लाग पर आपकी राय का स्वागत है, क्रपया आईये
http://dilli6in.blogspot.com/
मेरी शुभकामनाएं
चारुल शुक्ल
http://www.twitter.com/charulshukla
चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. मेरी शुभकामनाएं.
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हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits – रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
चिटठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. मेरी शुभकामनाएं.
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हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits – रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
इम्प्रेसिव! मेरे स्वप्नो में से एक है कि मैं अवधी में पांच मिनट धाराप्रवाह बोल सकूं। अभी तो हिन्दी में भी पांच मिनट धाराप्रवाह नहीं बोल पाता। और यहां आप हैं जो अवधी ओढ़ते बिछाते हैं।
अवधी के साथ भाषाई/सांस्कृतिक/आदर्श/वाद/धर्म के पूर्वाग्रह न जुड़े हों तो आप से खूब जमेगी मित्र! आपके ब्लॉग का फीड संजो लिया है।
ज्ञानदत्त जी ने सीमित शब्दों में कुछ जरूरी इशारे कर दिए हैं…मुझे परम विश्वास है कि अमरेन्द्र जी उनपर अवश्य खरे उतरेंगे….
हमका यहि देखि के खुसी भयी कि ब्लाग जगत मा कोऊ अवधी बोलै वाला मिेलि गवा. वइसे तो हमार बचपन नखलऊवै के आस-पास बीता अहै मुला हुअन कै बोली बैस्वारी कहावत है. हुअन की याक कविता बड़ी मसहूर अहै ” हम गयेन याक दिन नखलऊवै… … हम कहेन यहौ ध्वाखा हुइगा.”
कहिये कैसी रही. आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है. शुभकामनायें.
एक अनुरोध है यदि आप बुरा न मानें तो “मोरा” के स्थान पर “हमार” अधिक उचित लगेगा.
amrendra bhai, apka swagat hai,padhkar achchha laga ki apni taraf ka kai aur hai jo blogging kai bakhiya udhere hai !
गजबे लिख्या भईया ,मजा आइ गई .बहुत नीक लागि तोहार भाषा ,का कही जब लिख तै आहा ता जमि के लिखा
तोहरे भाई भूपेन्द्र
दै दीन टिप्पणी! तुमहू याद का याद करिहौ!